..और John Gray की पुस्तक Men are from Mars, Women are from Venus समाप्त की। मैंने पुरुष और स्त्री के आपसी तालमेल और सम्प्रेषण पर इससे पहले कोई पुस्तक नहीं पढ़ी थी। यह पुस्तक बाहर से बेहद आकर्षक और ललचाती-सी होने के साथ-साथ काफी चर्चित भी है। इसके बारे में शायद ही कोई पुस्तक प्रेमी अनजान हो। लेकिन बावजूद इन सब सकारात्मक पहलुओं के, यह पुस्तक निरी ढेर सारी गैर-जरूरी सामग्री के शब्दों का पहाड़ ही है। मेरे शब्द इस समीक्षा-आलेख में कुछ कड़वे हो सकते हैं किन्तु यह मेरे इसे पढ़ने पर हुई अनुभूति के हूबहू उकेरे जाने के कारण बिना किसी प्रभाव या लाग-लपेट के होने से ऐसे हैं। यह पुस्तक दरअसल अलग कुछ भी नहीं कहती जो आप नहीं जानते। अगर दिल की बात खुल के हूबहू कह दूँ तो मैं साफ-साफ कहूंगा कि खुद मेरे पुस्तक-संग्रह में यह पुस्तक अब तक की सबसे नीरस पुस्तक रही, बल्कि 'कुछ भी परोसकर' इसने चेतन भगत की पुस्तकों को भी मात दी है।
पुस्तक के शुरू के कुछ पेजेज़ यह बताते हैं कि पुरुष असल में मंगल का वासी है और स्त्री शुक्र की वासी। दोनों अपने-अपने ग्रहों पे अपने-अपने नियम और कायदों के साथ खुशी-खुशी रहते हैं। फिर एक दिन पुरुष शुक्र खोज लेते हैं और एक यान से वहाँ पहुंचते हैं। दोनों के मन और दिल एकदम से हिचकोले खाते हैं। फिर दोनों पृथ्वी पर आते हैं। इसके बाद से अब तक पुरुष अपने मंगल ग्रह के नियम से ही स्त्री के विचारों का विश्लेषण करता है जबकि स्त्री इसी तरह अपने शुक्र ग्रह के नियमों के अनुसार। यहाँ तक भी यदि लेखक की अपनी बनाई यह थ्योरी इसलिए मान लेते हैं कि पुरुष और स्त्री वास्तव में एकदम अलग-अलग तरह से सोचते हैं, तब भी लेखक इसके बाद इतने भ्रामक, अस्वाभाविक, असामान्य और अविश्वसनीय नियम लागू करने को कहता है कि जो रिश्ता मज़बूत करने कि बजाय व्यावहारिक रूप में इसे कमज़ोर कर सकते हैं।
कईं दफे स्त्री से तो पुरुष को ज्यादा स्वायत्तता और अहमियत दी गई है जो इस पुस्तक की महिला पाठकों को साफ-साफ दिखाई देंगी। इसके अलावा शुरू के ही एक चैप्टर में बताया गया है कि यदि पुरुष को ठेस पहुंचती है या वह नाखुश है तो वह अपने प्राचीन मंगल निवास के समय अनुसार अपनी गुफा में चला जाएगा और उस समय स्त्री उसे न मनाए न ही समस्या पर बात करे। इसके बजाय उसे उसके हाल पे अकेला छोड़ दें। वह शॉपिंग पे जा सकती है या टीवी देख सकती है। पुरुष स्वतः अपनी समस्या पर मानसिक विश्लेषण कर जब हल निकाल लेगा तब वह अपनी गुफा से निकल आएगा और सामान्य व्यवहार करने लगेगा। ऐसे में रिश्ता मज़बूत होगा कि कमज़ोर? इस तरह से भ्रामक सिद्धांतों और अनोखी कल्पना पर आधारित निष्कर्ष व्यवहार में प्रयोग करने से अत्यंत नाजुक इस रिश्ते पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के भी अत्यधिक आसार बनते हैं।
इस पुस्तक में जो भी कुछ है वह शुरू के चंद पेज में ही मिल जाएगा, उसके बाद वहीं बातें, वहीं नियम-सिद्धांत जो अपनाने को लेखक कहता है, समूची पुस्तक में उन्हें बार-बार, फिर बार-बार और फिर बार-बार नए-नए तरीकों से एवं नए-नए शब्दों के जरिए पुनरावृत्ति कर सिर्फ पुस्तक में पृष्ठ संख्या बढ़ाई गई है। पढ़ते-पढ़ते दिमाग ऊँघने लगता है कि यहीं बात और कितनी बार पढ़ने को मिलेगी। आधी पुस्तक होने तक आप पुस्तक को रख देना चाहेंगे। दरअसल इसे पुस्तक के रूप में बनाया गया है जबकि ये नियम किसी अखबार में आने वाले साप्ताहिक रंगीन पारिवारिक परिशिष्ट में छपने वाले एक छोटे-से कॉलमरूपी आलेख में समाहित हो सकने जितनी सामग्री का ही अति-विस्तारित रूप है, बस।
दुनिया में कुछ पुस्तकें सबसे ज्यादा बिकती है। वे ज्यादातर धार्मिक ग्रंथ होते हैं और बाईबल का नाम उनमें सबसे ऊपर आता है। कुछ पुस्तकें उनकी रेटिंग को देखते हुए सबसे ज्यादा खरीदी जानी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं हैं। वे महान साहित्यकारों की कृतियाँ होती है जिन्हें आम नागरिक पूरी तरह समझ और सराह नहीं पाता। मसलन शेक्सपियर का लेखन। कुछ पुस्तकें बेहद बिकती हैं और एक-दूसरे को गिफ्ट की जाती है या सलाह के तौर पे बताई भी जाती हैं कि इसे पढ़ो। वे वास्तव में शानदार होती हैं। मसलन How to Win Friends and Influence People, महान लोगों की जीवनियां वगैरह। इसके बाद कुछ पुस्तकें ऐसी भी होती हैं जो सबसे ज्यादा चर्चित होती हैं, इसलिए बिकती भी हैं, किन्तु उनके भीतर कुछ भी नहीं होता। वे चर्चित होती हैं उनके आकर्षण के लिए जिस पर सारा जोर दिया गया होता है, बजाय कि लेखन पे। ऐसी ही एक आकर्षक पुस्तक है John Gray की 'Men are from Mars, Women are from Venus'.
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