|| श्री गणेशाय नमः || |
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा |
स्तुति:
गाइये गणपति जगवंदन |
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
सिद्धी सदन गजवदन विनायक |
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक़ ॥
मोदक प्रिय मृद मंगल दाता |
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥
मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे |
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
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